Title: Role of press and literature in the rise of Indian nationalism Download
Author’s : Dr. Bablu Kumar Jayswal
Date of Publication (ONLINE) :-14-09-2025
DOI :-10.71037/gyanvividha.v2i3.13
Online Publication Certificate No. :– GV/317
cite this article:
Jayswal Dr. Bablu Kumar. ”Role of press and literature in the rise of Indian nationalism”, Published in GYANVIVIDHA, ISSN: 3048-4537(O) & 3049-2327 (P), Volume-2 | Issue- 2, July-Sept, 2025, Page No. :-317-325. URL: https://journal.gyanvividha.com/wp-content/uploads/2025/09/Dr.-Bablu-Kumar-Jayswal-Gyanvividha-vol2-issue-3ISSN-3048-4537O-3049-2890O-july-Sept.-2025-pp-317-325.pdf
Abstract : भारतीय राष्ट्रवाद का उदय केवल राजनीतिक आंदोलनों या नेताओं के प्रयासों का परिणाम नहीं था, बल्कि यह एक व्यापक सामाजिक, सांस्कृतिक और वैचारिक प्रक्रिया थी। इस प्रक्रिया में प्रेस और साहित्य ने आधारभूत भूमिका निभाई। समाचार-पत्रों और पत्रिकाओं ने न केवल औपनिवेशिक शासन की नीतियों की आलोचना की, बल्कि उन्होंने विभिन्न प्रांतों के लोगों को एक साझा राष्ट्रीय चेतना से जोड़ा। इसी तरह, साहित्यकारों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से जनता के मन में स्वतंत्रता और आत्मगौरव की भावना जगाई। वंदे मातरम् जैसे गीत और उपन्यासों में निहित राष्ट्रवादी संदेश ने जनता को भावनात्मक रूप से संगठित किया। यह शोधपत्र इस बात का विश्लेषण करता है कि कैसे प्रेस और साहित्य ने भारतीय राष्ट्रवाद की वैचारिक नींव रखी, उसे जनांदोलन का स्वरूप दिया और स्वतंत्रता संग्राम को एक अखिल भारतीय आंदोलन बनाने में सहायक सिद्ध हुए।
Keywords : भारतीय स्वतंत्रता संग्राम, राष्ट्रवाद, प्रेस, साहित्य, पत्रकारिता, सामाजिक सुधार, सांस्कृतिक चेतना एवं जनजागरण।
Publication Details:
Journal : GYANVIVIDHA (ज्ञानविविधा)
ISSN : 3048-4537 (Online)
3049-2327 (Print)
Published In : Volume-2 | Issue-3, July-Sept., 2025
Page Number(s) : 317-325
Publisher Name :
Mrs Anubha Chaudhary | https://journal.gyanvividha.com | E-ISSN 3048-4537 | P-ISSN 3049-2327