Developing Reading & Writing Skills in Hearing-Impaired Students : A Challenge

Title: Developing Reading & Writing Skills in Hearing-Impaired Students : A Challenge Download

Author’s : कुमारी सुकेशिनी जैपाल खोब्रागडे/रोशनी भारती

Date of Publication (ONLINE) :-03-10-2025
DOI :-10.71037/gyanvividha.v2i4.01

Online Publication Certificate No. :– GV/541

cite this article:
खोब्रागडे कुमारी सुकेशिनी जैपाल/भारती रोशनी. ”Developing Reading & Writing Skills in Hearing-Impaired Students : A Challenge”, Published in GYANVIVIDHA, ISSN: 3048-4537(O) & 3049-2327 (P), Volume-2 | Issue- 2, July-Sept, 2025, Page No. :-84-89. URL:https://journal.gyanvividha.com/wp-content/uploads/2025/10/Kumari-sukeshini-Roshani-Bharati-Gyanvividha-vol2-issue-3-Oct.-Dec.-2025-pp-84-89.pdf

Abstract :  श्रवण-बाधित विद्यार्थियों का शैक्षिक विकास एक चुनौतीपूर्ण क्षेत्र है, विशेषकर पठन और लेखन कौशल के संदर्भ में। श्रवण बाधा के कारण विद्यार्थी श्रवण संवेदनाओं में कमी महसूस करते हैं, जिससे वे भाषा के ध्वन्यात्मक स्वरूप, उच्चारण और वाक्य संरचना को समझने में कठिनाई का सामना करते हैं। यह कठिनाई उनके शब्दावली के विकास और वाचन क्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है। इसके अतिरिक्त, श्रवण-बाधित बच्चे सामान्य कक्षा में होने पर सुनने और समझने में पिछड़ जाते हैं, जिससे उनके लेखन कौशल पर भी असर पड़ता है। शोध से यह स्पष्ट होता है कि इन विद्यार्थियों के लिए पारंपरिक शिक्षण पद्धतियाँ पर्याप्त नहीं हैं। विशेष शिक्षा पद्धतियाँ, जैसे कि दृश्य-सहायक उपकरण, संकेत भाषा, पाठ्यक्रम में अनुकूलन और इंटरेक्टिव शिक्षण तकनीक, उनकी पठन-लेखन क्षमताओं को सुधारने में सहायक हो सकती हैं। इसके बावजूद, कई बार शिक्षक प्रशिक्षण की कमी, संसाधनों की कमी और सामाजिक-सांस्कृतिक बाधाएँ इन प्रयासों को सीमित कर देती हैं। साथ ही, अभिभावक की सहभागिता और घर का भाषा वातावरण भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। घर पर लगातार पढ़ाई और लेखन का अभ्यास न होने के कारण विद्यार्थी अपनी कौशल प्रगति में धीमे रहते हैं। सामाजिक समावेशन की कमी और आत्म-संकोच भी उनकी भाषा अभिव्यक्ति को प्रभावित करता है। इस प्रकार, श्रवण-बाधित विद्यार्थियों में पठन और लेखन कौशल के विकास के लिए बहुपक्षीय दृष्टिकोण आवश्यक है, जिसमें विशेष शिक्षक प्रशिक्षण, तकनीकी उपकरणों का उपयोग, अभिभावक सहभागिता और व्यक्तिगत आवश्यकता के अनुसार पाठ्यक्रम संशोधन शामिल हैं। समग्र दृष्टिकोण अपनाने से इन विद्यार्थियों के भाषा विकास में सुधार संभव है और उन्हें शैक्षिक तथा सामाजिक जीवन में आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है।

Keywords : श्रवण-बाधित विद्यार्थी, पठन कौशल, लेखन कौशल, भाषा विकास, विशेष शिक्षा, संकेत भाषा।

Publication Details:

Journal : GYANVIVIDHA (ज्ञानविविधा)

ISSN : 3048-4537 (Online)

3049-2327 (Print)

Published In : Volume-2 | Issue-4, Oct.-Dec., 2025

Page Number(s) : 84-89

Publisher Name :

 Mrs Anubha Chaudhary | https://journal.gyanvividha.com | E-ISSN 3048-4537 | P-ISSN 3049-2327

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