Title: Ajmer Merwara ra Lokgeeta ma Pratikatmakta ar Sanskritik Aayam Download
Author: BACHCHRAJ JAT
cite this article:
Jangid Rajkumar, ”Ajmer Merwara ra Lokgeeta ma Pratikatmakta ar Sanskritik Aayam”, Published in GYANVIVIDHA, ISSN: 3048-4537(O) & 3049-2327 (P), Volume-2 | Issue- 2, Apr.-June 2025, Page No. :-01-07. URL: https://journal.gyanvividha.com/wp-content/uploads/2025/04/bachchraj-jat-Gyanvividha-vol2-issue-2ISSN-3048-4537P-3049-2890O-Apr.-June-2025-pp01-07.pdf
Abstract : ई शोध पत्र रो मुख्य उद्देश्य अजमेर अर मेरवाड़ा रा लोकगीतां में प्रतीकात्मकता अर सांस्कृतिक आयाम री गूढ़ पड़ताल करबो है। राजस्थान रा लोकगीतां में जो सांस्कृतिक संदेश, रूपक अर प्रतीकां प्रकट होवेला है, वो केवल साहित्यिक अलंकार तक सीमित न होकर लोकजीवन री जीवंत अभिव्यक्ति भी है। ई शोध पत्र री माद्यम सूं क्षेत्रीय साहित्य, मौखिक इतिहास अर राजस्थानी संदर्भ ग्रन्थां री समीक्षा करी गई है, जिण सूं लोकगीतां में देखाई देवेला सामाजिक, धार्मिक अर सांस्कृतिक अनुभवां रो विश्लेषण करबो जावेला है।
शोध पद्धति में स्थानीय विद्वानां द्वारा रचित संदर्भ ग्रन्थ, मौखिक परंपरा अर पुरानी लोककथां रा अध्ययन सामिल है। ई विधि सूं हम देखणो चाहैला कि लोकगीतां में प्रयुक्त प्रतीक अर रूपकां सूं राजस्थान रा पारंपरिक ज्ञान, धार्मिक आस्था अर सामाजिक संरचना रो केतरो गूढ़ संदेश मिलैला है। ए प्रकार सूं लोकगीतां रो साहित्यिक, सांस्कृतिक अर सामाजिक दृष्टिकोण सूं विवेचन करबो जावेला है।
मुख्य निष्कर्ष में ई बात सामने आयी है कि अजमेर अर मेरवाड़ा रा लोकगीतां में प्रतीकात्मकता केवल एक अलंकार न होवै, पर ईं में लोकजीवन रा गूढ़ अनुभव, पारंपरिक रीति-रिवाज, त्योहार, धार्मिक विश्वास अर सामाजिक व्यवहारां रो प्रतिबिंब स्पष्ट देखण में आवेला है। ए लोकगीतां सूं हम राजस्थान रा सांस्कृतिक इतिहास अर लोकसंस्कृति रो समझणो आसान होवै, जिण सूं क्षेत्र रा समृद्ध धरोहर उजागर होवेला है।
Keywords : लोकगीतां, प्रतीकात्मकता,अलंकार,पारंपरिक,प्रतिबिंब.
Publication Details:
Journal : GYANVIVIDHA (ज्ञानविविधा)
ISSN : 3048-4537 (Online)
3049-2327 (Print)
Published In : Volume-2 | Issue-2, Apr.-June 2025
Page Number(s) : 01-07
Publisher Name :
Mrs Anubha Chaudhary | https://journal.gyanvividha.com | E-ISSN 3048-4537 | P-ISSN 3049-2327