Title : Increasing desertification in Rajasthan: A serious environmental crisis Download
Author : Mahendra kumar Mitharwal
Date of Publication (ONLINE) :-01-07-2025
DOI :-10.71037/gyanvividha.v2i3.01
Online Publication Certificate No. :– GV/281
cite this article:
Mitharwal Mahendra kumar, ”Increasing desertification in Rajasthan: A serious environmental crisis”, Published in GYANVIVIDHA, ISSN: 3048-4537(O) & 3049-2327 (P), Volume-2 | Issue- 3, July-Sept. 2025, Page No. :-01-07. URL: https://journal.gyanvividha.com/wp-content/uploads/2025/07/Mahendra-kumar-Mitharwal-Gyanvividha-vol2-issue-3ISSN-3048-4537O-3049-2890O-Apr.-June-2025-pp-01-07.pdf
Abstract : आज विश्व भर में मरुस्थलीकरण एक गंभीर पर्यावरणीय समस्या बन चुकी है। भारत के संदर्भ में यदि बात करें, तो राजस्थान इस संकट से सर्वाधिक प्रभावित राज्य है। राज्य का एक बड़ा भाग पहले से ही थार मरुस्थल के अधीन है, परंतु हाल के वर्षों में मरुस्थलीकरण की गति में तीव्र वृद्धि हुई है। भूमि का उपजाऊ स्वरूप तेजी से समाप्त हो रहा है, जिससे न केवल कृषि उत्पादन पर प्रभाव पड़ रहा है, बल्कि मानव जीवन, पशुपालन, जलस्तर और जैव विविधता भी संकट में पड़ रही है। यह लेख राजस्थान में बढ़ते मरुस्थलीकरण की गहराई से समीक्षा करता है तथा इसके कारणों, प्रभावों और संभावित समाधान की खोज करता है।राजस्थान, भारत का सबसे बड़ा राज्य, अपनी भौगोलिक विविधताओं, ऐतिहासिक धरोहरों और सांस्कृतिक विरासत के लिए प्रसिद्ध है। लेकिन आज यह राज्य एक गंभीर पर्यावरणीय संकट से जूझ रहा है — मरुस्थलीकरण। मरुस्थलीकरण वह प्रक्रिया है जिसमें उपजाऊ भूमि धीरे-धीरे बंजर में परिवर्तित हो जाती है, और राजस्थान में यह समस्या दिनों-दिन विकराल रूप धारण करती जा रही है। जलवायु परिवर्तन, अनियमित मानसून, अत्यधिक चराई, वन क्षेत्र की कटाई और अनियंत्रित भूमिगत जल दोहन जैसे मानवीय और प्राकृतिक कारण इस संकट को और गहरा बना रहे हैं।
Keywords : मरुस्थलीकरण, पर्यावरणीय, उपजाऊ, उत्पादन, जैव विविधता, समीक्षा, जलवायु परिवर्तन।
Publication Details:
Journal : GYANVIVIDHA (ज्ञानविविधा)
ISSN : 3048-4537 (Online)
3049-2327 (Print)
Published In : Volume-2 | Issue-3, July-Sept., 2025
Page Number(s) : 01-07
Publisher Name :
Mrs Anubha Chaudhary | https://journal.gyanvividha.com | E-ISSN 3048-4537 | P-ISSN 3049-2327