Title: The Roots of Sustainable Development: An Environmental History of Global Societies Download
Author: Gurpal Singh
cite this article:
Singh Gurpal, ”The Roots of Sustainable Development : An Environmental History of Global Societies”, Published in GYANVIVIDHA, ISSN: 3048-4537, Volume-2 | Issue-1 , Jan.-March 2025, Page No. :-88-94. URL: https://journal.gyanvividha.com/wp-content/uploads/2025/02/Gurpal-singh-Gyanvividha-vol2-issue-1ISSN-3048-4537-Jan.-March-2025-pp88-94.pdf
Abstract : यह शोध पत्र, “सततता की जड़ें: वैश्विक समाजों का पर्यावरणीय इतिहास”, मानव समाजों और प्राकृतिक पर्यावरण के बीच जटिल संबंध की पड़ताल करता है, जो समकालीन सततता प्रथाओं को आकार देने वाले ऐतिहासिक विकास को दर्शाता है। यह प्राचीन सभ्यताओं से लेकर आधुनिक युग तक पर्यावरणीय इंटरएक्शन के विकास की समीक्षा करता है, और औद्योगिकीकरण, उपनिवेशवाद, और वैश्विक व्यापार नेटवर्कों के पारिस्थितिकी बदलावों पर प्रभाव को उजागर करता है। इसके साथ ही यह पर्यावरणवाद के उदय और सतत विकास की अवधारणा पर भी चर्चा करता है, और प्रमुख पर्यावरणीय आंदोलनों और उनके नीति व वैश्विक संवाद पर प्रभाव को समझता है। भारत के चिपको आंदोलन जैसे केस स्टडी के माध्यम से, यह पत्र उन ऐतिहासिक पाठों को रेखांकित करता है जो आज भी समकालीन सततता प्रयासों को प्रभावित करते हैं। अतीत का विश्लेषण करके, यह अध्ययन आधुनिक पर्यावरणीय चुनौतियों का समाधान करने के लिए महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि प्रदान करने का उद्देश्य रखता है, और यह यह समझने में योगदान करता है कि ऐतिहासिक मानव-प्राकृतिक संबंध भविष्य की सततता प्रथाओं को कैसे मार्गदर्शन कर सकते हैं, विशेष रूप से तेजी से बदलते हुए विश्व में।
Keywords : पर्यावरणीय इतिहास, मानव-प्राकृतिक संबंध, वैश्विक व्यापार नेटवर्क, पर्यावरणवाद, सतत विकास, जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता, पर्यावरणीय नीति.
Publication Details:
Journal : GYANVIVIDHA (ज्ञानविविधा)
ISSN : 3048-4537 (Online)
Published In : Volume-2 | Issue-1, Jan.-March 2025
Page Number(s) : 88-94
Publisher Name :
Mrs Anubha Chaudhary | https://journal.gyanvividha.com | E-ISSN 3048-4537