Svadhin Kalam Nepali

Title: Svadhin Kalam Nepali  Download

Author: Dr. Divakar Chaudhary

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Chaudhary Dr. Divakar, ” Svadhin Kalam Nepali”, Published in GYANVIVIDHA, ISSN: 3048-4537, Volume-1 | Issue-1 , Jan 2024, Page No. :-18-21. URL: https://journal.gyanvividha.com/wp-content/uploads/2024/12/dr.divakarchaudhary-gyanvividha-jan-2024pp18-21.pdf

Abstract : गोपाल सिंह नेपाली एक स्वाधीनचेता व्यक्ति थे। उन्होंने अपने जीवन में सिद्धान्तों से कभी समझौता नहीं किया।उनके व्यक्तित्व की यह विशेषता वर्तमान अवसरवादी परिवेश में जहाँ जरुरत पड़ने पर गदहा को भी बाप बना लिया जाता है, अवश्य ही उनके व्यक्तित्व की कमजोरी मानी जाती।उनके व्यक्तित्व में आग और राग दोनों है। वे एक स्वाधीनचेता, स्वाभिमानी, साहित्यकार और राष्ट्र-प्रेमी थे। जिसकी अभिव्यक्ति सिर्फ रचनाओं में ही नहीं व्यवहार के कठोर धरातल पर भी देखने को मिलती है। अपने समकालीनों के बीच उनके व्यक्तित्व की अपनी छाप थी। अपने व्यक्तित्व की सरलता, सहजता, निश्चलता, जैसे गुणों के कारण उन्हें जीवन में कई तरह के संकटों का सामना करना पड़ा। तब भी उनका व्यक्तित्व दृढ़ से दृढ़तर होता, निखरता गया। उन्होंने वैचारिक और व्यवहारिक स्तर पर गलत से कभी समझौता नहीं किया। उनके व्यक्तित्व पर कई तरह के आक्षेप भी लगाये गए तब भी वे रुके नहीं, हाँ, मर्माहत जरुर हुए। तब भी गाते रहे-

‘जिसने तलवार शिवा को दी,

रोशनी उधार दिवा को दी।

पतवार थमा दी लहरों को,

खंजर की धार हवा को दी।

अग-जग के उसी विधाता ने,

कर दी मेरे आधीन कलम।

मेरा धन है स्वाधीन कलम’।।

Keywords : स्वाधीनचेता, सिद्धान्तों, अवसरवाद.

Publication Details:

Journal : GYANVIVIDHA

ISSN : 3048-4537 (Online)

Published In : Volume-1 | Issue-1, Jan 2024

Page Number(s) : 18-21

Publisher Name :

 Mrs Anubha Chaudhary | https://journal.gyanvividha.com | E-ISSN 3048-4537