Title : Acharya Shukla’s healthy, unbiased and broad vision in the field of criticism and essay Download
Author : Atul Mishra
cite this article:
Mishra Atul, ”Acharya Shukla’s healthy, unbiased and broad vision in the field of criticism and essay”, Published in GYANVIVIDHA, ISSN: 3048-4537(O) & 3049-2327 (P), Volume-2 | Issue- 2, Apr.-June 2025, Page No. :-111-115. URL: https://journal.gyanvividha.com/wp-content/uploads/2025/06/atul-mishra-Gyanvividha-vol2-issue-2ISSN-3048-4537O-3049-2890O-Apr.-June-2025-pp111-115.pdf
Abstract : आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने हिन्दी आलोचना और निबन्ध के क्षेत्र में एक स्पष्ट व सार्थक मार्ग को प्रशस्त किया जिससे आलोचना और निबन्ध को एक समुन्नत दशा-दिशा प्राप्त हुई। आचार्य शुक्ल ने स्वस्थ, सशक्त और निरपेक्ष दृष्टि का निर्माण किया। प्रस्तुत आलेख इस विषय पर सघन और सफल विमर्श करता है कि आचार्य शुक्ल ने किस प्रकार आलोचना एवं निबन्ध को सूत्रबद्ध करते हुये उन्हें आधुनिक और मौलिक दृष्टि से सम्पन्न किया। आचार्य शुक्ल की आलोचना दृष्टि सम्प्रति भी हिन्दी आलोचना संसार की स्थायी संपत्ति है, मौलिक निधि है। इसी कारण उसका आश्रय लेकर आज भी हिन्दी आलोचना व निबन्ध संसार सर्वथा प्रशास्तिगामी है। आचार्य शुक्ल ने शास्त्र-स्वतन्त्र होते हुये भी शास्त्र-सापेक्ष स्थापनाएँ प्रदान की। इसी प्रकार शास्त्र-परतन्त्र होते हुए भी शास्त्र-निरपेक्ष दृष्टि प्रस्तुत किया। इस आलेख/शोधालेख मे आचार्य के कृतित्व पक्ष के विविध आयामों को उद्घाटित करने का प्रयास किया गया है। आचार्य शुक्ल की सौन्दर्य दृष्टि नैतिकता के कठोर अनुशासन में बद्ध मानी जा सकती है किन्तु वह सापेक्षता और आग्रहों के आवरणों से प्रायः मुक्त ही रही है। आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने लोकमंगल, साधारणीकरण, रस-विमर्श, कलावाद आदि सभी संभावित पक्षों पर गहन विमर्श किया।
Keywords : सारग्रहिणी, अन्तर्यात्रा, मनोविकार, जनोन्मुखता, रस-विमर्श, लोकमंगल, साधारणीकरण, भावपक्ष, बुद्धितत्व, मुक्तावस्था।
Publication Details:
Journal : GYANVIVIDHA (ज्ञानविविधा)
ISSN : 3048-4537 (Online)
3049-2327 (Print)
Published In : Volume-2 | Issue-2, Apr.-June 2025
Page Number(s) : 111-115
Publisher Name :
Mrs Anubha Chaudhary | https://journal.gyanvividha.com | E-ISSN 3048-4537 | P-ISSN 3049-2327