Dushyant Kumar Ke Kavy Me Samajik Yatharth

Title: Dushyant Kumar Ke Kavy Me Samajik Yatharth  Download

Author: Dr. Divakar Chaudhary

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Chaudhary Dr. Divakar, ”Dushyant Kumar Ke Kavy Me Samajik Yatharth”, Published in GYANVIVIDHA, ISSN: 3048-4537, Volume-1 | Issue-4 , July-Sept 2024, Page No. :-09-14. URL: https://journal.gyanvividha.com/wp-content/uploads/2024/11/Gyanvividha-Sep-2024-divakarji-9-14.pdf

Abstract : दुष्यंत कुमार अपनी रचनाओं के माध्यम से  अपने समकालीन देश और समाज में व्याप्त समस्याओं से संवाद भी करते हैं और निराकरण का साहित्यिक प्रयास भी । उनका सामाजिक दृष्टिकोण मानवतावादी है इसलिए उसमे यथार्थ की सशक्त अभिव्यक्ति और रूढ़िवादी व्यवस्था तथा शोषण चक्र पर तीखा और व्यंग्यात्मक प्रहार अभिव्यक्त हुआ है । जैसा कि उन्होंने स्वयं कहा है वे सिर्फ हंगामा खड़ा करने यानि सिर्फ प्रसिद्धि, विवाद या लिखने के लिए नहीं लिखते अपितु वे वर्तमान व्यवस्था में बदलाव चाहते हैं । इसलिए वे वर्तमान देश और समाज का यथार्थ अभिव्यक्त कर उसका समाधान करने हेतु रचनात्मक पहल करते हैं । यह इसलिए भी कि उन्होंने जो देखा, भोगा और महसूस किया था वही अभिव्यक्त भी किया है, इसीलिए उनके काव्य में अभिव्यक्त यथार्थ इतना असरदार है । उन्हीं के शब्दों में –

‘मैं जिसे ओढ़ता-बिछाता हूँ ।

वो गजल आपको सुनाता हूँ ‘। ।

Keywords : समकालीन, दृष्टिकोण, मानवतावादी, यथार्थ, रूढ़िवाद, शोषण चक्र.

Publication Details:

Journal : GYANVIVIDHA

ISSN : 3048-4537 (Online)

Published In : Volume-1 | Issue-4, July-Sept 2024

Page Number(s) : 09-14

Publisher Name :

 Mrs Anubha Chaudhary | https://journal.gyanvividha.com | E-ISSN 3048-4537